
ૐ श्री गणेशाय नमः
वस्तुतः इस सृस्टि का निर्माण किसने किया है ये विज्ञान के द्वारा अभी तक किसी को भी नहीं पता चल पाया है।
परंतु हिन्दू शास्त्रो के अनुसार इस का उद्भव किस उद्देश्य से किया गया है इसका पूर्ण रूप से अनुमान लगा पाना अभी बाकि है।
हिन्दू जनो में साधारणतयः एक विषय को लेकर विरोधाभास है की "विष्णु" अथवा "शिव" दोनों ही देवो में किस देव को उच्च दर्ज दिया जाये ? उनकी इस परेशानी का हल कुछ इस प्रकार है की श्री हरी विष्णु के समक्ष जब भी भोले बाबा का गुणगान किया जाए तो हरी को अति प्रसन्नता होती है उदाहरण के लिए जब श्री राम का विवाह उत्सव था उस समय पर भोले के गुणगान किये गए थे जब रावण का उद्धार करने के लिए श्री हरी ने पुल का निर्माण आरम्भ किया था उस समय पर भोले की ही आराधन की गई थी श्री राम ने अपने पूरे जीवन में शिव के अन्यत्र किसी की देव की उपासना नहीं की थी परंतु इसका अर्थ ये नही की उन्होंने ऐसा कभी किया ही नहीं। श्री कृष्ण के जन्म के समय भी भोले साधु का वेश धारण कर उनसे मिलने के लिए आये थे और विष्णु पुराण में भी शिव महिमा का वर्णन है।
शिव पुराण में भी लिखा है की जो भी प्राणी विष्णु की उपासना करेगा वो मेरी ही उपासना के सामान होगी और जो विष्णु का अपमान करेगा वो मेरा अपमान होगा।
सभी मंत्रो में शिव ॐ का व्याख्यान है ॐ के अन्यत्र कोई ऐसा शब्द ही नहीं जिस से किसी मंत्र का उद्भव हो सके ऐसा क्यों है इसे समझने के लिए मेरे अगले लेख की प्रतीक्षा करें।
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