बंधुओ मैंने अपने पहले ब्लॉग में ॐ का विवरण लिखन को कहा था।
आज में थोड़ा सा जो भी मुझे पता है उसे लिखने का प्रयास करूँगा।
ॐ एक ऐसा शब्द है जो इस पृथ्वी पर पहली बार सुना गया जिस प्रकार रात के समय कोई भी ध्वनि न होने के कारन हम घडी के काटो की टिक टिक की ध्वनि भी बड़ी सरलता से सुन लेते है उसी प्रकार उस समय पर भी यही हुआ था एक ओमकार ही ऐसा शब्द था जो पृथ्वी के वातावरण में गूंज रहा था जिसके बाद से ही सब कुछ स्थापित हुआ है।
कुछ समय पहले कुछ वैज्ञानिको ने सूर्य पर होने वाली ध्वनि सुनी जो की ॐ के ही जैस अथवा ॐ ही थी शायद ये वही से हुआ हो पृथ्वी के उथल पुथल होने के बाद जब कोई व्यक्ति बचा हो जिसने ऐसा सुना हो या ग्रंथो के अनुसार ही कुछ हुआ हो जैस की लिखा है की धरती का उद्भव ओमकार ने किया है।
सभी हिदुओ ने देवताओ के मंदिर देखे होंगे परंतु कभी ओमकार का मंदिर नहीं देखा जैसे की मुस्लिमो ने कभी अल्लाह को नहीं देखा बस नाम लिखा जा सकता है और एक चिन्ह ७८६ से प्रदर्शित किया जा सकता है वैसे ओमकार भी है।
सभी श्रुतियो के अनुसार मुस्लिम धर्म का उद्धभव बाद में हुआ है तो शायद उन्होंने भी यही देखा हो और मूर्तिपूजा को आडम्बर मान कर उन्होंने निरंकार निर्गुण को अपना प्रभु स्वीकार किया हो।
जिस प्रकार से मुस्लिमो ने अपने अल्लाह को बताया है उसी प्रकार से हिन्दू जानो ने ओमकार का वर्णन किया है केवल एक प्रकाश जहा कुछ दिखाई नहीं देता केवल उजला उजला प्रकाश एक शांति का अनुभव जो कभी किसी ने नहीं किया।
आज में थोड़ा सा जो भी मुझे पता है उसे लिखने का प्रयास करूँगा।
ॐ एक ऐसा शब्द है जो इस पृथ्वी पर पहली बार सुना गया जिस प्रकार रात के समय कोई भी ध्वनि न होने के कारन हम घडी के काटो की टिक टिक की ध्वनि भी बड़ी सरलता से सुन लेते है उसी प्रकार उस समय पर भी यही हुआ था एक ओमकार ही ऐसा शब्द था जो पृथ्वी के वातावरण में गूंज रहा था जिसके बाद से ही सब कुछ स्थापित हुआ है।
कुछ समय पहले कुछ वैज्ञानिको ने सूर्य पर होने वाली ध्वनि सुनी जो की ॐ के ही जैस अथवा ॐ ही थी शायद ये वही से हुआ हो पृथ्वी के उथल पुथल होने के बाद जब कोई व्यक्ति बचा हो जिसने ऐसा सुना हो या ग्रंथो के अनुसार ही कुछ हुआ हो जैस की लिखा है की धरती का उद्भव ओमकार ने किया है।
सभी हिदुओ ने देवताओ के मंदिर देखे होंगे परंतु कभी ओमकार का मंदिर नहीं देखा जैसे की मुस्लिमो ने कभी अल्लाह को नहीं देखा बस नाम लिखा जा सकता है और एक चिन्ह ७८६ से प्रदर्शित किया जा सकता है वैसे ओमकार भी है।
सभी श्रुतियो के अनुसार मुस्लिम धर्म का उद्धभव बाद में हुआ है तो शायद उन्होंने भी यही देखा हो और मूर्तिपूजा को आडम्बर मान कर उन्होंने निरंकार निर्गुण को अपना प्रभु स्वीकार किया हो।
जिस प्रकार से मुस्लिमो ने अपने अल्लाह को बताया है उसी प्रकार से हिन्दू जानो ने ओमकार का वर्णन किया है केवल एक प्रकाश जहा कुछ दिखाई नहीं देता केवल उजला उजला प्रकाश एक शांति का अनुभव जो कभी किसी ने नहीं किया।
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