मित्रो रामायण के महानायक और खलनायक के विषय में तो सभी ने सुना होगा लेकिन इन खलनायको और नायको का यहाँ पर आना कैसे हुआ ये भी एक विषय है। बात उस समय की है जब प्रभु श्री हरी अपनी शैय्या पर विश्राम कर रहे थे और उनके द्वारपाल द्वारो पर पहरा दे रहे थे तभी बाल ऋषि वह पधारे और कहने लगे की प्रभु से मिलना है और मिलकर प्रभु से कुछ चर्चा करनी है।
इसपर द्वारपालों ने कहा की प्रभु के विश्राम का समय है अभी नहीं मिल सकते
बार बार आग्रह करने पर भी जब द्वारपाल नहीं मने तो दोनों को बाल ऋषियों ने शाप दिया की तुम सैकड़ो जन्मो तक पृथ्वी पर राक्षसों की तरह दुःख भोगोगे।
इनते में शोर सुनकर प्रभु बाहर आये और शाप वापस लेने की विनती करने लगे इसपर बाल ऋषियो ने कहा की हम वापस तो नहीं ले सकते लेकिन शाप कम कर सकते है तब उन्होंने कहा की शाप में तुम दोनों को या तो 7 जन्म प्रभु की कठोर भक्ति करनी होगी या फिर ३ जनम प्रभु से शत्रुता।
तब जय और विजय ने शत्रुता स्वीकारी और तीन जन्मो में रावण-कुम्भकरण,कंस-शिशुपाल और हिरण्यकश्यप-हिरण्यकश्यपु।
तीनो ही जन्मो ने दोनों भाई एक से बढ़कर एक शक्तियाँ प्राप्त की और श्री हरी को मारने का प्रयास किया अपने शाप की मुक्ति के लिए और शाप मुक्त किया।
रावण ने चारो वेदों का ज्ञान प्राप्त ब्रम्हा के बाद रावण ही ऐसा था जिसने ४ वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था।
रावण ज्ञान का ऐसा सागर बन गया था की यदि वो अपने ज्ञान को सार्थक करता तो आज भारत वर्ष कही और होता परंतु जब ज्ञान और विज्ञानं अपनी अति की सिमा पर आ लगते है तो उनका विनाश हो जाता है।
जिस प्रकार से मोहन जोदड़ो सभयता हिडम्बा सभ्यता का विनाश अति विकसित होने के कारन से हुआ उसी प्रकार से बाकि सभी कालो में भी उनका विनाश हुआ है।
आज के ही इस युग में देखा जाये तो हम सभी अपनी मृत्यु का सामान एकत्रित कर रहे है।
नए नए आविष्कार आज तो लाभकारी है परंतु कुछ समय बाद इनके घातक प्रभावो का पता चलता है CNG का प्रयोग भी कुछ इसी प्रकार है।
आगे का विवरण अगले सप्ताह।
इसपर द्वारपालों ने कहा की प्रभु के विश्राम का समय है अभी नहीं मिल सकते
बार बार आग्रह करने पर भी जब द्वारपाल नहीं मने तो दोनों को बाल ऋषियों ने शाप दिया की तुम सैकड़ो जन्मो तक पृथ्वी पर राक्षसों की तरह दुःख भोगोगे।
इनते में शोर सुनकर प्रभु बाहर आये और शाप वापस लेने की विनती करने लगे इसपर बाल ऋषियो ने कहा की हम वापस तो नहीं ले सकते लेकिन शाप कम कर सकते है तब उन्होंने कहा की शाप में तुम दोनों को या तो 7 जन्म प्रभु की कठोर भक्ति करनी होगी या फिर ३ जनम प्रभु से शत्रुता।
तब जय और विजय ने शत्रुता स्वीकारी और तीन जन्मो में रावण-कुम्भकरण,कंस-शिशुपाल और हिरण्यकश्यप-हिरण्यकश्यपु।
तीनो ही जन्मो ने दोनों भाई एक से बढ़कर एक शक्तियाँ प्राप्त की और श्री हरी को मारने का प्रयास किया अपने शाप की मुक्ति के लिए और शाप मुक्त किया।
रावण ने चारो वेदों का ज्ञान प्राप्त ब्रम्हा के बाद रावण ही ऐसा था जिसने ४ वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था।
रावण ज्ञान का ऐसा सागर बन गया था की यदि वो अपने ज्ञान को सार्थक करता तो आज भारत वर्ष कही और होता परंतु जब ज्ञान और विज्ञानं अपनी अति की सिमा पर आ लगते है तो उनका विनाश हो जाता है।
जिस प्रकार से मोहन जोदड़ो सभयता हिडम्बा सभ्यता का विनाश अति विकसित होने के कारन से हुआ उसी प्रकार से बाकि सभी कालो में भी उनका विनाश हुआ है।
आज के ही इस युग में देखा जाये तो हम सभी अपनी मृत्यु का सामान एकत्रित कर रहे है।
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