Saturday, 24 September 2016

बुद्ध अथवा मोहिनी ?

जिस प्रकार से गूगल पर अगर हम ये खोजना आरम्भ करे की विष्णु के 10 अवतार क्या है तब उनका उत्तर कुछ इस प्रकार से है
1.मत्स्य 
2. कूर्म 
3. वराह 
4.वामन 
5.नरसिंह 
6.परशुराम 
7.राम 
8.कृष्ण 
9.बुद्ध ???????
एक लंबे समय से विकिपीडिया पर ये भ्रम फैलाया जा रहा है की हिन्दू आराध्य देव ने अपना अंतिम अवतार बुद्ध के रूप में  लिया था जो की पूर्णतयः गलत है ये केवल एक भ्रम है जो हिन्दुओ को भटकने के लिए फैलाया जा रहा है .
पुराणों के अनुसार श्री विष्णु ने अंतिम अवतार श्री कृष्णा के रूप में लिया था लेकिन कुछ महनुवदो ने बुद्ध को भी विष्णु का अवतार बता दिया है तथा 10वां अवतार कल्कि के रूप में होना है और वह जो एक अवतार को गिनती से हटाया गया है वो है मोहिनी अवतार.
मोहिनी अवतार को गिनती से हटाना सरल इस कारण हुआ क्योके वो एक स्त्री का अवतार थी तथा उन्होंने जन्म भी नहीं लिया था.अगर देखा जाये तो जन्म के प्रमाण तो वराह,कूर्म,मत्स्य तथा नरसिंह के भी नहीं है तो क्या इन्हें भी अवतार नहीं माना  जायेगा?
सत्यता ये है की कुछ बोद्ध लोगो ने बुद्ध का गुणगान करने के लिए तथा बुद्ध को सर्वोपरि दिखने के लिए ऐसा किया है ये सर्वथा निरर्थ है क्योके हिन्दू पुराणों के अनुसार 10वा अवतार कल्कि है और कल्कि का अवतार तब होगा जब मनुष्य की आयु 12.5 वर्ष रहयेगी उसकी ऊंचाई एक पौधे जितनी और वह सारे संस्कार भूल जायेगा तब धर्म की रक्षा के लिए श्री हरी अवतार लेंगे और मानव जाती का उद्धार करेंगे। 

Saturday, 17 September 2016

अकबर महान ?



सभी भारतीय पुस्तको के अनुसार भारत में केवल 2 ही ऐसे व्यक्ति है जिन्हें महान कहा जाता है।
१. सम्राट अशोक
यदि इनको महान नहीं कहा गया तो लोगो को पता किस प्रकार चलेगा की महान किसे कहते है ?
और इनके इतिहास के साथ भली भांति बदलाव किया गया है जैसे की सभी को पता है की अशोक ने अंत समय में बोद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया था लेकिन परंतु इस बात की सत्यता कितनी है इसके विषय में कुछ कह पाना कठिन है कुछ इतिहासकारो ने इस बात को केवल मुगलो की मनघडंत कथा बताया है।
सम्पूर्ण भारत में ऐसा कोई राजा नहीं हुआ जो अशोक से युद्ध में जीता हो क्या भारत जैसी वीरभूमि में ऐसा संभव था ?
अशोक ने इतनी बड़ी सेना बनाई जो किसी भी राजा के पास नहीं थी इतनी बड़ी सेना रखना और उनका भरणपोषण करना सरल कार्य नहीं होता या तो अशोक के पास सेना नहीं थी या फिर अशोक अपनी प्रजा से अत्यधिक कर वसूलता था जिस से राज्य भली भांति चलाया जा सके इतिहासकारो ने कही पर तो गलती की है।
हिन्दू परंपरा में ४ आश्रम होते है ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास।
ब्रह्मचर्य और गृहस्थ आश्रम में रहकर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की शिक्षा लेते हुए व्यक्ति को 50 वर्ष की उम्र के बाद वानप्रस्थ आश्रम में रहकर धर्म और ध्यान का कार्य करते हुए मोक्ष की अभिलाषा रखना चाहिए अर्थात उसे मुमुक्ष हो जाना चाहिए। ऐसा वैदज्ञ कहते हैं।
क्या ये नहीं कहा जा सकता की अशोक ने वामप्रस्थ आश्रम को स्वीकार कर लिया था ?
इतिहासकारो के लिए ये एक विषय है कृपया चर्चा करें।
दूसरे महान है अकबर
अकबर के विषय में कहा जाता है की वो एक सुन्दर सुडौल शरीर का मालिक था तथा उसके बल के विषय में तो और भी अच्छे किस्से प्रचलित है। कई इतिहासकार अकबर को सबसे सुन्दर आदमी घोषित करते हैं. विन्सेंट स्मिथ इस सुंदरता का वर्णन यूँ करते हैं-
“अकबर एक औसत दर्जे की लम्बाई का था. उसके बाएं पैर में लंगड़ापन था. उसका सिर अपने दायें कंधे की तरफ झुका रहता था. उसकी नाक छोटी थी जिसकी हड्डी बाहर को निकली हुई थी. उसके नाक के नथुने ऐसे दीखते थे जैसे वो गुस्से में हो. आधे मटर के दाने के बराबर एक मस्सा उसके होंठ और नथुनों को मिलाता था. वह गहरे रंग का था”
अकबर ने सभी को समानता का अधिकार दिया वो चाहे कोई भी हो लेकिन ये बात भी धयान देने योग्य है की अकबर एक अंगूठा छाप व्यक्ति था और उसकी जीवनी उसी के एक सेवक ने लिखी थी जो की आज के आधुनिक समय पर हम कीटो को पढाई जा रही है।आज के समय में अकबर जैसे बलात्कारी और व्यभिचारी का महिमामंडन हृतिक रोशन जैसे कलाकारों से कराया जा रहा है और उसी के साथ शिवाजी जैसे राष्ट्रभक्त को अपमानित करने में कोई भी त्रुटि नहीं दिखाई जा रही।अकबर की एक जीवनी उसके बेटे ने भी लिखी थी जो की इलाहबाद के पुस्तकालय में उपलब्ध है परंतु उसे कोई पढ़ने में रूचि नहीं रखता सत्य को छिपा कर रखा गया है और असत्य का बोलबाला है।
अब समझने का विषय ये है की कोई भी सेवक अपने स्वामी की बुराई किस प्रकार से लिख सकता है ?


Monday, 12 September 2016

सदभावना

भारतीय संविधान के अनुसार सभी व्यक्तियों को उनके अनुसार जीवन यापन करने का अधिकार है।
परंतु कभी कभार यही भारतीय संविधान अपने ही कुछ लोगो के साथ भेदभाव की भावना रखता है जैसे की भारत में हिन्दू पर्वो पर एक आधिकारिक सुचना जारी की जाती है की होली पर पानी की बर्बादी न करे और दीवाली तथा दशहरे पर पटाखे न फोड़े छठ पूजा पर नदी में गन्दगी न करे इत्यादि।कुछ प्रदेशो में तो हवन इत्यादि पर भी रोक है जैसे की कर्णाटक और बंगाल ये भारत के ऐसे राज्य है जिनमे हिन्दुओ की आवाज को कुत्तो और बिल्लियों की आवाज समझा जाता है इसके बाद है भारत के पूर्वी हिस्से जिन्हें भारत के नादर समझा ही नहीं जा रहा था।  केवल कुछ ही वर्षो में भारत के पूर्वी राज्यो को ईसाई राज्य बना दिया गया था वो भी केवल इस लिए की वहां पर सरकार कुछ करती नहीं थी और वह पर कोई सुनवाई नहीं थी। 
भारत के अंदर सरकार की नाक के निचे धर्मान्तरण करने वाले केवल और केवल ईसाई है। ऐसा नहीं है की सभी ईसाई बुरे है या कुछ ऐसा ही दक्षिण भारत में शुद्रो को ये प्रलोभन देकर की आप ऊँची जात के बन जाओगे उनका धर्मान्तरण किया जा रहा है। पूर्वी भारत में बीमारो को दवा के नाम पर ईसाई बनाया जा रहा है। बंगाल में डंके की चोट पर हिन्दू बहन बेटी का बलात्कार कर मुस्लिमो को हवा दी जा रही है उत्तर प्रदेश में समाजवादी नेताओ ने मुस्लिमो को 42 प्रतिशत बता कर हिन्दुओ का मनोबल तोड़ने का प्रयास जारी है। 
सभी को याद होगा की किस प्रकार से 2014 में प्रधानमंत्री जी के टुकड़े टुकड़े करने की धमकी दी जा रही थी और वही रुड़की में कांवड़ के समय पर मुस्लिमो द्वारा एक बड़ा पंडाल लगा कर कांवड़ियों की सेवा की जा रही थी। 
देश में दंगा करने की साजिश कुछ शक्तिशाली लोगो ने की है लेकिन सभी लोग प्रत्यक्ष रूप से  बुरे नहीं है। 
मेरठ के बड़े भाजपा नेता संगीत सोम और गोरखपुर के योगी आदित्यनाथ के नाम पर कुछ लोगो ने हिंसा करनी चाही परंतु ऐसा हो सका। जो नेता स्वाम को गरीबो और मुस्लिमो का संरक्षक कहता था वो रोहित वेमुला और उन्ही जैसे लोगो के मरने पर गायब था और राज्यसभा में भाजपा को कोसने के परोक्ष कोई काम नहीं है उसका जब किसानों ने आत्महत्या की उस समय पर वह देखने भी नहीं आया और एक मुस्लिम व्यक्ति के मरते ही हैदराबाद के सरे कामो को  स्थगित नमाज अदा  करने आ गया। 
सार ये है की अच्छा वही है जो सभी को एक नजर से देखे।

Saturday, 10 September 2016

पृथ्वी नाम के रहस्य

अधिकतर लोगों को ये नहीं पता की जिस जगह पर हम आहट हैं उसे पृथ्वी क्यों कहते है ?
किसने रखा इसका नाम पृथ्वी ?
क्या अर्थ है इस नाम का ?
ग्रंथो के अनुसार इस नाम का रहस्य कुछ इस प्रकार है
सृष्टि की रचना के समय भगवान विष्णु ने धरती को अनंत जल से निकालकर जल के ऊपर स्थित किया। लेकिन काफी समय तक धरती उबड़-खाबड़ रही। धरती पर रहने वाले लोग कंद मूल एवं फल खाकर भगवान के ध्यान में मग्न रहते थे। कृषि और उन्न उगाने का काम नहीं होता था। संगठित शासनतंत्र और समाज का निर्माण भी नहीं हुआ था। त्रेतायुग के आरंभ में पृथु का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम वेन था।
वेन असंगठित शासन व्यवस्था का संचलन करता था। लेकिन इनकी व्यवस्था अच्छी नहीं थी। ऋषि मुनि इनके व्यवहार और अत्याचार से दुःखी हो गये और एक कुशा को अभिमंत्रित करके उससे वेन को मार डाला।वेन के मरण पश्चात हालात और भी दुर्भर हो गए अब प्रजा को कोई पालक न रहा प्रजा अस्थिर होने लगी पहले से भी ज्यादा लूटमार और  लगी तब ऋषियों ने वेन के मृत शरीर का मंथन किया इससे सबसे पहले एक काला व्यक्ति प्रकट हुआ जो केवट कहलाया। वर्तमान में इसे मछुआरा कहते हैं।

इसके बाद पुनः बाजूओं का मंथन करने पर पृथु उत्पन्न हुए। पृथु भगवान विष्णु के अंश से प्रकट हुए थे। वेन के अत्याचारपूर्ण व्यवहार के कारण पृथ्वी ने फल-फूल उत्पन्न करना बंद कर दिया था जिससे लोग व्याकुल हो रहे थे। पृथु ने धरती को अन्न तथा मनुष्य की उन्नति के लिए संसाधन प्रदान करने के लिए कहा। इस पर धरती ने कहा कि मनुष्य को कर्म करना होगा।

धरा को समतल करके खेती करनी होगी। परिश्रम पूर्वक धरती का दोहन करना होगा। जब मनुष्य ऐसा करने लगेगा तो मनुष्य खुशहाल हो जाएगा और उसे हर संसाधन प्रदान करूंगी। पृथु ने सबसे पहले भूमि को समतल करके खेती शुरू की और समाजिक व्यवस्था की आधारशीला रखी। लोगों ने कंदराओं को त्यागकर घर बनाकर रहना शुरू कर दिया।

जन समुदाय ने ऋषियों के साथ मिलकर पृथु को धरती का पहला राजा स्वीकार किया। पृथु ने धरती को अपनी पुत्री रूप में स्वीकार किया और इसका नाम पृथ्वी रखा। इस तरह संसार में कृषि एवं सामाजिक व्यवस्था की शुरूआत हुई। राज बनने के बाद पृथु ने धर्म पूर्वक, बिना किसी भेद-भाव के जनता की सेवा का वचन लिया। शतपथ ब्राह्मण नामक ग्रंथ में इस बात का उल्लेख किया गया है।
नोट : सभी युगों के अंत में उस युग की तकनीक विलुप्त हो जाती है इसका अर्थ ये है की त्रेता युग से पहले भी शासन व्यवस्था थी परंतु वो युग के अंत में नष्ट हो गई थी। 

Saturday, 3 September 2016

कश्मीर: स्वर्ग अथवा मिथ्या ?

इस धरती पर अगर कही स्वर्ग है तो वो केवल कश्मीर है.
ऐसा में नहीं कह रहा ऐसा कहती है पुस्तके और कुछ इस्लामी कवि
ये बात कितनी सच है और कितनी नहीं इसका विश्लेषण करना कठिन है क्योके ना ही में कभी वहां गया हूँ और न ही हम में से कुछ अधिकतर। कश्मीर एक ऐसी जगह है जहा पर हर दिन दंगे और फसाद होते है फिर भी वो  स्वर्ग की श्रेणी में रखा जाता है जबकि  ऐसा बिलकुल नहीं है।
कश्मीर एक समय पर स्वर्ग हुआ करता था जिस समय पर वह पर केवल पंडित रहा करते थे लेकिन जैसे ही मुगलो की नजर वहां पर पड़ी वो स्वर्ग केवल कहानियो और किस्सो में ही रह गया।
एक समय था जब कश्मीर का वातावरण शांतिप्रिय था तब चीन का कोई वर्चस्व नहीं था चीन स्वयं को विकसित करने में लगा हुआ था उसके बाद पकिस्तान का जनम हुआ और फिर 40 % भाग पकिस्तान का हो गया उसमे से भी कुछ भाग को वो धोखे से लेना चाह रहा है जो की वर्त्तमान प्रधान मंत्री को बिलकुल भी पसन्द नही है।
समस्या का आरंभ हुआ मुगलो से जब उन्होंने देखा की कश्मीर का वातावरण एकदम विस्मयकारी है वहां पर रहने वालो की आयु औसतन भारतीयों से अधिक है और उसके बाद प्राकृतिक औषधीयां  भरपूर मात्रा में है ऐसी औषधीयां जो बुढ़ापे को भी रोक दे तब उनका मन हुआ की यही पर रह जाये और बस यही रहे लेकिन वहां रहकर सत्ता को संभालना इतना भी आसान नहीं था तो बादशाहो ने अपने सम्बन्धियो और दरबारियो को जो की सभी मुस्लिम में उनको वहां की जलवायु को ख़राब करने के लिए रख छोड़ा और फिर आरम्भ हुआ उस जगह पर हिन्दुओ का विध्वंस और सूफियों का मनघड़ंत शांति सन्देश। ये सब  झेलने के बाद बाद में पकिस्तान का हस्तक्षेप और पकिस्तान की ये बात माननी पड़ेगी की सभी जगहों को बड़े चुन चुन कर लिया है पंजाब को उपजाऊ छेत्र रजिस्थान का मरुस्थल भारत का कश्मीर और पश्चिमी पकिस्तान के  नाम पर पकिस्तान २ जगह ले लिया।  उसके बाद अलगाव वादियो ने कश्मीर को भारत से अलग करने की काफी चेस्टा की जो की अभी तक जारी है लेकिन ये समझने वाली बात है की जिस जगह पर मुस्लिमो ने शाशन किया वो जगह विध्वंस से भर गई भगवत गीता में कहा गया है जब कोई एक जाती या धर्म अत्यधिक हो जाता है वो समय उसके विध्वंस का होता है जिस प्रकार ने महाभारत में हिदुओ ने हिन्दुओ को मार कुछ समय बाद वार्तामन विश्व का भी यही हाल होने वाला है।
जनसंख्या को कम करने का ये भी एक उपाय है महाभारत में भी इसी प्रकार से जनसँख्या को कम किया गया और प्रकर्ति में संतुलन बनाया गया।