Saturday, 3 September 2016

कश्मीर: स्वर्ग अथवा मिथ्या ?

इस धरती पर अगर कही स्वर्ग है तो वो केवल कश्मीर है.
ऐसा में नहीं कह रहा ऐसा कहती है पुस्तके और कुछ इस्लामी कवि
ये बात कितनी सच है और कितनी नहीं इसका विश्लेषण करना कठिन है क्योके ना ही में कभी वहां गया हूँ और न ही हम में से कुछ अधिकतर। कश्मीर एक ऐसी जगह है जहा पर हर दिन दंगे और फसाद होते है फिर भी वो  स्वर्ग की श्रेणी में रखा जाता है जबकि  ऐसा बिलकुल नहीं है।
कश्मीर एक समय पर स्वर्ग हुआ करता था जिस समय पर वह पर केवल पंडित रहा करते थे लेकिन जैसे ही मुगलो की नजर वहां पर पड़ी वो स्वर्ग केवल कहानियो और किस्सो में ही रह गया।
एक समय था जब कश्मीर का वातावरण शांतिप्रिय था तब चीन का कोई वर्चस्व नहीं था चीन स्वयं को विकसित करने में लगा हुआ था उसके बाद पकिस्तान का जनम हुआ और फिर 40 % भाग पकिस्तान का हो गया उसमे से भी कुछ भाग को वो धोखे से लेना चाह रहा है जो की वर्त्तमान प्रधान मंत्री को बिलकुल भी पसन्द नही है।
समस्या का आरंभ हुआ मुगलो से जब उन्होंने देखा की कश्मीर का वातावरण एकदम विस्मयकारी है वहां पर रहने वालो की आयु औसतन भारतीयों से अधिक है और उसके बाद प्राकृतिक औषधीयां  भरपूर मात्रा में है ऐसी औषधीयां जो बुढ़ापे को भी रोक दे तब उनका मन हुआ की यही पर रह जाये और बस यही रहे लेकिन वहां रहकर सत्ता को संभालना इतना भी आसान नहीं था तो बादशाहो ने अपने सम्बन्धियो और दरबारियो को जो की सभी मुस्लिम में उनको वहां की जलवायु को ख़राब करने के लिए रख छोड़ा और फिर आरम्भ हुआ उस जगह पर हिन्दुओ का विध्वंस और सूफियों का मनघड़ंत शांति सन्देश। ये सब  झेलने के बाद बाद में पकिस्तान का हस्तक्षेप और पकिस्तान की ये बात माननी पड़ेगी की सभी जगहों को बड़े चुन चुन कर लिया है पंजाब को उपजाऊ छेत्र रजिस्थान का मरुस्थल भारत का कश्मीर और पश्चिमी पकिस्तान के  नाम पर पकिस्तान २ जगह ले लिया।  उसके बाद अलगाव वादियो ने कश्मीर को भारत से अलग करने की काफी चेस्टा की जो की अभी तक जारी है लेकिन ये समझने वाली बात है की जिस जगह पर मुस्लिमो ने शाशन किया वो जगह विध्वंस से भर गई भगवत गीता में कहा गया है जब कोई एक जाती या धर्म अत्यधिक हो जाता है वो समय उसके विध्वंस का होता है जिस प्रकार ने महाभारत में हिदुओ ने हिन्दुओ को मार कुछ समय बाद वार्तामन विश्व का भी यही हाल होने वाला है।
जनसंख्या को कम करने का ये भी एक उपाय है महाभारत में भी इसी प्रकार से जनसँख्या को कम किया गया और प्रकर्ति में संतुलन बनाया गया।


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