Monday, 13 March 2017

विधाता ही सर्वोपरी है

एक समय भगवान् विष्णु का वाहन गरुड़ भगवान् के द्वार पर खड़ा था उस समय वो कल्पवृक्ष के विषय में सोच रहा था। कल्पवृक्ष एक ऐसा वृक्ष है जो सभी कल्पनाओ के सच कर सकता है तथा उसके निचे आने वाले सभी जीवो की कल्पना सत्य होती है। गरुड़ कालवृक्ष से कुछ दूरी पर स्थित होकर भगवान् के द्वार के निकट ऐसा सोच रहा था की भगवान् कितने कृपालु है सब पर कृपा करते है और अत्यंत ही दयालु है।
उसी समय वहाँ पर एक चिड़िया दिखती है जिसकी हालात अत्यंत ही गंभीर होती है जो की मृत्यु के अत्यंत ही समीप होती है उसकी इस दशा को देख कर गरुड़ को उस पर दया आ जाती है और सुको बीमार समझ कर वो जैसे निकट नजर घूमाते है उनको यमराज दिखाई पड़ते है जो की उस चिड़िया को देख रहे होते है गरुड़ तुरंत ही समझ जाता है की यमराज उसके प्राण लेने आये हैं।
गरुड़ उनके कुछ भी करने से पहले चिड़िया को अपने पंजो में दबा पर दूर उदा जाता है और उस चिड़िया को सुमेरु पर्वत पर छोड आता है। तब वापस आकर जब गरुड़ यमदेव को देखता है तो वो मुस्कुराते है और कहते है की गरुड़ मेरा यहाँ पर आने का उद्देश्य भगवान् श्री हरी से मिलना था और जब मैंने उस चिड़िया को यहाँ तड़पते हुए देखा और उसकी मृत्यु देखि तो मैंने देखा की कुछ ही पल में उसकी मृत्यु सैकड़ो मील दूर सुमेरु पर्वत पर सर्प द्वारा निगले जाने से होगी तो में यह सोच कर आश्चर्य चकित हो रहा था की ये छोटी सी चिड़िया इतने कम समय में इतनी दूरी कैसे तय करगी ?
और उसके बाद मैंने वो सब देखा जो तुम्हें अज्ञानता में किया।
इसमें भी प्रभु की ही इच्छा ही हम सभी तो एक कारण मात्र है इन सब कर्मो में। 

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