Wednesday, 25 January 2017

गणतंत्र दिवस : 26 JANUARY



भारत देश में गणतंत्र दिवस को हिंदी में पूर्त्य कुछ ही लोग जानते है इसका  वास्तविक नाम या तो 26 जनवरी या REPUBLIC DAY के नाम से जाना जाता है इसमें हमारा कोई दोष भी नहीं है क्योकि जब विद्यालयों में आज के समय पर पाश्चात्य सभ्यता के अनुरूप पढाई लिखाई और अन्य कार्य किये जा रहे है तो संभावित है की हम हिंदी को पूर्णतया या तो त्याग दे या अंग्रेजी को पूर्णतया अपना लें।
भारत में अंग्रेजी का प्रचलन प्रचलन 1857 की क्रांति के पश्चात अधिक हुआ उसके पीछे का कारण ये रहा की अंग्रेजो ने जब पहली क्रांति का दमन किया तब उन्होंने क्रांति होने के कारण का गहन किया और उस अध्यन्न का नतीजा  निकल  आया की जब इस क्रांति को करने के पीछे महीनो का कार्य था लेखको ने लेखों द्वारा ही भारत के लोगो में नई जान फूकि थी और अपनी कविताओ और भाषणों के द्वारा छोटे छोटे राजाओ पर व्यंग , कटाक्ष और मातृभूमि की दशा को बता कर उनके मन में क्रांति के भाव उत्पन्न कर दिए थे।
एक प्रकार से भारत में रहने वाले हर व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार से क्रांति से भाषा के द्वारा जोड़ा जा रहा था तब अंग्रेजो ने अपनी रणनीति बदली और भारत से हिंदी को विलुप्त करने का अपना प्रयास आरम्भ कर दिया उस समय के एक अंग्रेज ने अपनी किताब में लिखा था की भारत को जब तक नहीं जोड़ा जा सकता जब तक की उसकी भाषा को नहीं जोड़ा जा सकता।
अपनी पहली रणनीति "फुट डालो राज करो" में सजग सफलता के बात अंग्रेजो ने दूसरी रणनीति पर काम करना आरम्भ किया और वो अपनी रणनीति में सफल भी रहे।
आज के भारत में अगर हम किसी भी प्रदेश में निकल जाये तो वहां पर पूर्णतय हिंदी बोलने और सझने वाले लोग नदारद है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जैसे क्षेत्र में अंग्रेजी में बात करना एक आवश्यकता बन गई है और जैस हवा और पानी कोई भी व्यक्ति हिंदी में बात करना आज अपमान क्यों समझ रहा है ?
जापान,चीन,रूस,जर्मनी और फ्रांस जैसे विकसित देशो में अंग्रेजी की कोई भी पुस्तक पढ़ाना या फिर अंग्रेजी की तरफ कोई भी लुभावन होना बिलकुल नहीं है।
 जापान और चीन जैसे देशो में बच्चो को अंग्रेजी पढना गैर क़ानूनी है और ये देश अपनी संस्कृति के प्रति गौरवान्वित भी है। इन्हें गर्व है स्वयं के जापानी होने पर  और चीनी होने पर।
जापान के लेखक ने भाषा के विषय में कहा है की "यदि आप अपने देश को गौरवान्वित करना चाहते है तो अपने बच्चो को मातृभाषा की शिक्षा दीजिये अन्यथा वो कभी भी राष्ट्रभक्त नहीं बन पाएंगे। देश की आत्मा मातृभाषा में है उसका प्रयोग करें "

No comments:

Post a Comment