Tuesday, 10 January 2017

नरेंद्र मोदी : उत्तर प्रेदेश भाजपा


अभी उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के चुनावो की जंग जारी है और इस दौड़ में 3 पार्टिया सबसे आगे हैं।
1.भाजपा
2.सपा
3.बसपा
तीनो के वोटो की संख्या इनके क्रमानुसार ही है यव तीनो ही दल उत्तर प्रदेश का भविष्य निर्धारित करेंगे इनके अन्यत्र कोई और दल उत्तर प्रदेश में नहीं आ सकता है कोंग्रेस का दमन तो लोकसभा के समय से ही हो चूका था अब तो बस वो एक निशान बन कर रह गई है कई क्षेत्रो में तो इन्हें अपनी जमानत भी बचानी भारी पड़ सकती है।
जिस प्रकार से आम आदमी पार्टी के कुमार विशवास ने अमेठी से जितने का दम भरा था और फिर वो अंत में जाकर अपनी जमानत भी न बचा पाये थे वाही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ होने वाला है।
भाजपा का जितना आवश्यक है क्योकि भाजपा के नेताओ की अब काम करने की इच्छा है और उत्तर प्रदेश ऐसा प्रदेश है जहा पर यदि कोई काम करता है तो उसे उसके अनुसार वोट भी मिलते है।
जैसा की पिछले चुमावो में देखा गया था की मायावती और अखलेश यादव ने जो भी कार्य किये थे सब अपनी बिरादरी के लिए किये थे।उत्तर प्रदेश में अखलेश यादव ने कोई ख़ास विकास तो किया नहीं क्योके वो भी मनमोहन सिंह की तरह ही कठपुतली है अपने पिताजी के और ये केवल दिखावे के मुख्यमंत्री है इनके सभी निर्णय दबाव में होते है और इन निर्णयों से जनता को अत्यधिक नुक्सान झेलना पड़ता है।
पिछले दिनों जब दुर्गा नागशक्ति जैसी IPS अफसर ने अवैध मस्जिद निर्माण पर रोक लगाई तो अखलेश यादव ने उनका हो तबादला करा दिया और उसकी जगह पर एक आलीशान मस्जिद का निर्माण सरकारी पैसे से करा दिया जिस प्रकार मायावती ने सरकारी धन का प्रयोग अपने स्वार्थ के लिए किया उसी प्रकार से अखलेश यादव अपनी वोटो में वृद्धि के लिए मुस्लिमो को लुभावन देने के लिए सरसरकारी खजाने का दुरूपयोग करते दिखाई दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में जब बसपा की सरकार थी तब भी स्वर्णो की वही हालत थी और जब सपा की सरकार आई तब स्वर्णो भी स्वर्णो की वही हालात है परंतु बसपा के आने पर दलितों को स्वर्ण जैसा अनुभव कर ही दिया था परंतु चार दिन की चांदनी कब तक टिक पाती?
सपा ने आते ही सबसे पहला काम दलितों को सभी उच्च सरकारी पदों से हटा कर उन्हें कही दूर भेज दिया और उन स्थानों पर यादवो की भर्ती आरम्भ कर दी और 5 वर्षो में सभी ऊँचे पदों पर यादवो का बोल बाला हो गया है ।
आज के समय पर उत्तर प्रदेश सरकारी विभाग जो यादवो का गढ़ माना जाता है में भाजपा का जितना चिड़िया की आँख में निशाना लगाने जैसा है।भले भी भाजपा नरेंद्र मोदी जी को अपना मुख्या चहरा बना कर चुनाव लड़ रही है परंतु इसमें भी जोखिम तो है ही ।भाजपा के लिए इस स्थिति में चुनाव के नतीजे अपने पक्ष में निकलने का एकमात्र साधन नरेंद्र मोदी जी ही है।
अगर लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखा जाये तो चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में अधिक है परंतु समय का फेरा बिहार की याद भी दिलाता है।

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