Tuesday, 24 January 2017

नरेंद्र तथा नरेंद्र मोदी


जीवन में कभी ऐसे क्षण आते है जो हमें सोचने पर विवश कर देते है की अगर ऐसा ऐसा किया होता तो आज में कहा पर होता।
ऐसे ही कुछ वृतांत कहे जाते है हमारे राष्ट्र नायक नरेंद्र मोदी के विषय में जो की आज के समय पर एक अति विलक्षण प्रतिभा के ज्ञाता है।
वाक्पटुता कुछ लोगो ने तो ऐसा शब्द भी नहीं सुना होगा लेकिन हिंदी भाषा के अंदर ऐसे शब्दो का भण्डार है। पुरातन काल से ही इस विधि का प्रयोग राजनायकों द्वारा किया जाता रहा है जो की हमारे पूर्व प्रधान मंत्री जी को नहीं आता था उन्होंने तो साक्षात् ये भी कह दिया था की "मेननू इंदी नी ओंदी सी" एक ऐसा अर्थशास्त्री जिसने अपने ज्ञान से भारत को मजबूती दी उसी ने राष्ट्र को एक गूंगापन भी प्रदान किया।
यहाँ नरेंद्र का अर्थ एक साधारण बालक से है जो की बाद में गुजरात का मुख्यमंत्री बन कर नरेंद्र मोदी बना उसके बाद भारत का प्रधान मंत्री बन वो मोदी बना। इस काल में उन पर काफी आरोपो का भी रोपण हुआ पर अभी तक की समाचार सूचनो के अनुसार तक तो उनके प्राणों की भी कोई संभावनाएं नहीं है
विरोधियो ने पास के शत्रु देशो तक से सहायता की गुहार कर ली है।मोसाद जैसे संगठनों ने भी भारत को इस विषय में सचेत किया है।अभी तो केवल 2019 की प्रतीक्षा है।
किसी भी कला में महारथ प्राप्त करने को पटुता कहा जाता है कुछ लोगो में ऐसा प्रतिभा जन्म से होती है और कुछ लोगो में ये प्रतिभा अभ्यास से आती है नरेंद्र मोदी के विषय में ये दोनों ही संभावित है। पहले वो संघ के प्रचारक रह चुके है तो संभावित है कई स्थानों पर उन्होंने अपनी सेवाएं भी दी होंगी और उन्ही से उन्हें कुछ अभ्यास भी आया होगा और उसके बाद वो मुख्यमंत्री भी रहे है जिसके लिए वो अत्यधिक लोगो से मिले-जुले होंगे ये अभ्यास का ही एक रूप है। यद्यपि हम किसी व्यक्ति से पहली बार मिलें परंतु उसी प्रकार के व्यक्ति से अगर हम पहले भी मिले है तो हम उस से बात करने में झिझक कम होगी ऐसा सामान्यतः INTERVIEW के समय पर देखा भी जाता है।
किसी ही देश का प्रधान सेनापति यदि वाक्पटुता में पारंगत नहीं होगा तो वो समस्याओ को सुलझा नहीं पायेगा उसके विपरीत उसके गलत शब्दो का चयन उसे समस्याओ में अधिक घेर सकता है प्रचीन समय से ही ऐसे लोगो को राजनयक बनाने की परंपरा रही है जैसे की बीरबल,मानसिंह,उदल और बाजिराओ बल्लाड।
ये सभी अपने शब्दो को संयम से प्रयोग करने में महारथी थे।
जीवन के अनुभव - छोटी उम्र में चाय बेचना माता को लोगो के घरो में बर्तन मांजते देखना और घर की गरीबी से बुरी हालात ये सभी चीजे किसी कमजोर ह्रदय वाले व्यक्त को तोड़ सकती है लेकिन जिनका ह्रदय फौलादी होता है वो इन्हें अपने राह की अड़चन की जगह साहस का औजार सझते है।
हिटलर ने एक समय दिवार को पोतते समय कहा था एक दिन में इस देश का राजा बनूँगा और उसने वो अपनी दृढ इच्छा शक्ति से कर दिखाया।
ऐसा ही मोदी जी के साथ भी था उन्हने कहने से अधिक करने पर भरोसा किया और आज के समय कर नोटबंदी का फैसला बिना किसी पूर्व न्योजित कार्यक्रम के कर दिखाना उनकी इच्छा शक्ति का ही प्रमाण है।

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