Thursday, 26 January 2017

विश्व नायक (नरेन्द्र मोदी अथवा डोनाल्ड ट्रम्प)

आज के समय पर विश्व पटल पर 2 ही नामो की केवल चर्चा है और वो दोनों राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले शक्तिशाली व्यक्ति है। भारत को एक दब्बू देश से एक सिंह की दहाड़ बनाने वाले देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान है यदि भारत आज के समय पर विश्वगुरु बनाने की हुंकार भारत है तो उसका श्रेय केवल मोदी जी को जाना है। अमेरिका से सम्बन्ध पहले से अधिक अच्छे बनाने ओ बराक ओबामा को अपने छोटे भाई की तरह स्नेह से गले लगाने वाले प्रधान मंत्री भारत के ही है उनके अन्यत्र कोई भी ऐसा नहीं है जिसने अमेरिका के राष्ट्रपति को निकट से स्पर्श करने का भी प्रयास किया हो। 
आर्थिक मंदी  के समय भारत में आने का बराक ओबामा का निर्णय अपने नागिको के लिए सहूलियत प्राप्त करना था की उनके व्यवसाय को कोई हानि नहीं होगी और न ही उन्हें नोकरियो से  निकाला जायेगा परंतु अभी उनके भारत आने का अर्थ आर्थिक नहीं मानसिक था। मित्रता के लिए ओबामा ने  1 वर्ष में 2 बार भारत की राजनितिक यात्रा की और मोदी जी के साथ बैठकर चाय की चुस्कियो से साथ ठहाके भी लागए। 
परन्तु अब समय बदल चुका है अब समय ट्रम्प का है जो दिन प्रतिदिन और भी शक्तिशाली होता जा रहा है अमेरिका ने अपनी जो साख खो दी थी एक गरम रवैये वाले देश से नरम रवैये वाला देश बन गया था वह अब वापस आ रही है ट्रम्प का सीधे शब्दो में मुस्लिम समुदाय को चुनोती देना और गैर अमेरिकी नागरिको को धमकाना साफ़ कर देता है की ये एक कठोर फैसले लेने वाला राष्ट्रपति है इनसे कोई अपनी गलतियों को क्षमा के भूल न ही करे तो ठीक होगा। 
जिस प्रकार से ट्रम्प ने अपने भाषणों में भारत और हिंदुत्व की विवेचना की थी उस से देख कर तो यही प्रतीत होता है की भारत की तरफ अमेरिका का रवैया अभी भी मित्रता वाला रहेगा और पकिस्तान को अभी अपने कान खीचने में भी भलाई है अन्यथा जिस प्रकार रूस प्रत्येक दिन आतंकियों का सफाया कर रहा है उसी अकार से कही एक दिन ऐसा ना आ जाये की पकिस्तान को अमरीका अपने कब्जे में कर वहां पर एशिया महाद्वीप कर नजर रखने वाला क्षेत्र बना दे ऐसी पेशकश वो भारत को भी दे चुका है क्योके उसे ज्ञात है की चीन एक बड़ा प्रतिद्वंदी है हथियारों में अमेरिका का और उसपर कब्ज़ा करना इतना सरल नहीं है न ही क्षेत्रफल से न ही बल से। 

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