Wednesday, 25 January 2017

गणतंत्र दिवस

भारतीय  संविधान २६ जनवरी १९५० को भारत में लागु  हुआ। 
 संविधान सभा ने संविधान को २ वर्ष ११ माह १८ दिन अर्थात सितंबर १९५० को ही संविधान बनकर तैयार हो गया था परंतु उसे लागु करने में इतना समय क्यों लगा ?
इसका उत्तर हमारे इतिहास में छिपा है। स्वतंत्रता संग्राम के समय पर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियो ने २६ जनवरी १९४७ के दिन को स्वतंत्र भारत का दिन घोषित किया था परंतु इस दिन भारत को स्वतंत्रता करा पाना संभव ना हो सका और भारत को अंग्रेज मुक्त १५ अगस्त १९४७ को कहा गया। ऐसी स्तिथि में स्वतंत्रता दिवस को २६ जनवरी तक लेकर जाना संभव नहीं था इसी कारण से भारत के संविधान को इस दिन लागु किया गया। 
संविधन लागु करने का सीधा तात्पर्य ये था की जो क्रांतिकारियों द्वारा दिन का महत्त्व रखा गया था उस दिन का महत्त्व आगे भी बना रहे। 
इस दिन राजपथ पर शौर्य प्रदर्शन किया  जाता है जो यह दर्शाता है की अब हम अपनी शक्ति को सही रूप से प्रदर्शित करने में सार्थक है केवल शक्ति होना ही प्रयाप्त  का सही प्रयोग भी  आवश्यक है। 
 भारतीय सेना किसी भी सेना से यदि युद्ध  करती है तो युद्ध के उपरांत विपरीत सेना के शवो को आदरपूर्वक विपरीत देश को सोंपा जाता है ये युद्ध की नीति है की किसी भी सैनिक के पार्थिव शरीर का अपमान न हो। 
"हिटलर में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय कहा था की यदि जर्मनी के पास भारतीय सेना होती हो में इस युद्ध का निर्णय जर्मनी के पक्ष में होता"
कारगिल युद्ध के समय भारतीय सेना की "राजपूत रेजिमेंट"का शौर्य देखते ही बनता था जब अपने से अत्यधिक मजबूत स्थिति में बैठी पाकिस्तनि सेना को उन्होंने पहाड़ी के ऊपर जाकर भी मार था और भागते हुए पाकिस्तानी सैनिको को ये कहकर नहीं मारा था की हम भगोड़ो से युद्ध नहीं करते। 
चीन युद्ध के समय जब भारतीय सेना के पास हथियार नहीं पहुच पाए थे उस समय पर सेना ने अत्यंत शोर्य दिखाते हुए  आगे बढ़ कर अपनी बंदूको को तोड़ कर फेक दिया और बन्दूक की संगीनों को निकाल कर २०-२० चीनियों को ईश्वर के निकट भेज वीरगति को प्राप्त किया उस समय चीन अमेरिका और रूस के दर से कम भारतीय सेना की वीरता से अधिक थरथरा उठा था और अपने कदमो को भारत में आने से रोकने पर विवश हो गया था। 

No comments:

Post a Comment