Monday, 30 January 2017

संघ : सेवा तथा त्याग



संघ का पूर्ण नाम रसिया स्वयं सेवक संघ है इसे RSS के नाम से अधिक जाना जाता है। संपूर्ण विश्व में ये सबसे बड़ी सेवा प्रणाली है जो की बिना किसी वेतन के देश सेवा और समाज कल्याण के कार्यो में कार्यरत है। इनका मुख्य कार्य दैनिक प्रतिदिन की दिनचर्या को सुगम बना प्रत्येक जन को निरोगी बनाना है और एक शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण करना है। प्रत्येक दिन का आरंभ संघ में सुबह की वंदना से होता है वंदना में भारत माता को साक्षी मान कर यह वचन लिया जाता है की एक संघी भारत में रहने वाले प्रत्येक बंधू का सहयोग निष्काम भाव से करेगा और यदि किसी भी बंधू पर कोई विपत्ति आती है तो वह उस समय सहयोग करेगा। संघ के लोग किसी भी जाती या भरम को बड़ा या छोटा नहीं मानते ये सभी का स्वागत खुले मन और विचारो से करते है। इनकी दैनिक रीती वैदिक पद्धत्ति से होने के कारन विरोधी जन इन्हे कुछ ज्यादा पसंद नहीं करते परन्तु अपने लाखो विरोधी होने के बाद भी संघ ने देश को अत्यंत ही महानुभाव लोग दिए है।  राष्ट्र सेवा संघ की विरासत है संघ का निर्माण करने के पीछे उद्देश्य भी यही था की राष्ट्र हित में यदि कोई असामाजिक शक्ति अपना वर्चस्व दिखा कर गैर संविधानिक गतिविधियों पर जोर देती है उसका दमन करने के लिए संघ संविधानिक तरीके से अग्रसर रहेगा। संघ में दैनिक वंदना के पश्चात व्यायाम किया जाता है जो शारीरिक बल में वृद्धि के लिए है और उसके पश्चात खेलो का आयोजन होता है। खेलो के बाद दैनिक विषयो पर वार्तालाप की जाती यदि किसी को कोई मुश्किल है या किसी प्रकार का कष्ट है तो उसके निवारण के उपाय के विषय में सभी के द्वारा उनकी प्रतिक्रिया देखि जाती है। स्वतंत्रता सेनानियो और हमारे पूर्वजो के द्वारा दिए गए योगदान के विषय में चाचा की जाती है और १ घंटे की इस प्रक्रिया के बाद सभी जन अपने निवास स्थान के लिए प्रस्थान करते है यह कहकर की कल फिर मिलेंगे और भारत को स्वस्थ और सदृढ़ बनाएंगे।
भारत में किसी भी प्रकार की आपदा आने पर संघ के कार्यकर्ता बिना किसी निमंत्रण के अपना सहयोग देने पहुच जाते है चाहे वह रेल दुर्घटना हो या बूम विस्फोट या उत्तराखंड में आए बढ़ त्रासदी संघीय ने अपनी सेवा का परचम सुनामी तक में दिखाया है अपने जीवन की चिंता किये बिना ये एक प्रचारक के रूप में अपना पूरा जीवन अपने घर से दूर और अपने सेज सम्बन्धियो से धूर रह कर भी व्यतीत कर देते है। कुछ क्षेत्रो में संघ की सेवा से इतनी ग्रहण है की वह पर प्रचारको की हत्या भी करा दी गई है। संघ किसी भी धर्म या समुदाय के प्रति घृणा का भाव नहीं रखता परंतु संघ की सेवाओ से संघ के बढ़ते वर्चस्व को देख कर असामाजिक तत्वों ने इन्हें निशाना बनाना आरम्भ कर दिया है। केरल में कुछ मिशनरियो के द्वार ये अधिक है और कर्णाटक में यह अत्यधिक है. . . . . . . . . . . .

शेष भाग २

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